ख्वाहिशें…

हज़ारो ख्वाहिशें सीने में दबी हैं ऐसी,नन्हीं तितलियां कही कैद हो जैसीकुछ ख्वाहिशें मर जाती हैं आज़ाद होने से पहले,जैसे तितलियों के पर किसीने काट दिए हो उडने से पहले…कुछ ख्वाहिशें चल पडती हैं पूर्णत्व के राह में,स्वछंद जग में अपना अस्तित्व बनाने के चाह मेंकुछ ख्वाहिशें बीच राहमें तोड देती हैं दम,तो कुछ आगे… Continue reading ख्वाहिशें…

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